मिस कामिनी – भाग 2 | "छोटी-छोटी चुभन... और खुलता पहला बटन
पढ़िए मिस कामिनी और उसके छात्र आरव की अधूरी मोहब्बत की कहानी का दूसरा भाग – जब पहली बार किसी छुअन ने रूह तक हिला दिया।

💋 मिस कामिनी – भाग 2
"छोटी-छोटी चुभन... और खुलता पहला बटन"
(एक रात, जहाँ कुछ कहा नहीं गया — पर सब कुछ हो गया)
🔶 मैं कामिनी हूँ
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में अंग्रेज़ी पढ़ाती हूँ। उम्र 34 साल, और जिंदगी में सब कुछ था — पर कुछ अधूरा सा।
भाग 1 में आपने पढ़ा कि कैसे मेरा एक छात्र — आरव, मेरी ज़िंदगी में एक हलचल बनकर आया।
अब कहानी वहाँ से आगे बढ़ती है… जहाँ इशारों में सब कुछ कहा जा चुका था — अब सिर्फ छूने की देर थी।
📚 वह लाइब्रेरी वाला कमरा...
कॉलेज का सालाना उत्सव आने वाला था। आरव को एक विशेष प्रोजेक्ट मिला और मुझे उसका मार्गदर्शन करना था।
हम रोज़ शाम लाइब्रेरी के एक शांत कमरे में मिलते।
उस दिन आरव थोड़ा अलग था। उसकी नज़रें बार-बार मेरी गर्दन और कॉलर की ओर भटक रही थीं।
मैंने मुस्कराते हुए पूछा,
“आरव, पढ़ाई में ध्यान लगाओ।”
वो मुस्कराया और बोला —
“अगर सामने आप बैठी हों, तो ध्यान पढ़ाई में लग ही नहीं सकता कामिनी मैम।”
उसकी बातें… जैसे सीधी रगों में उतर रही थीं।
🔥 पहली बार… जब उसने छुआ
मैंने उसकी फाइल देखते हुए झुककर कुछ समझाने की कोशिश की।
मेरे बाल चेहरे पर आ गए। उसने धीरे से वो बाल हटाए —
और मेरी गर्दन पर उसकी उंगलियों की पहली छुअन हुई।
“मैम, आपकी खुशबू… किताबों से बेहतर लगती है।”
मेरा दिल एक पल के लिए रुक गया।
मैं कुछ कह पाती उससे पहले…
उसने धीरे से मेरा दुपट्टा मेरे कंधे से नीचे सरका दिया।
💔 "अगर ये ग़लत है, तो रोक दीजिए मुझे..."
उसकी उंगलियाँ अब मेरी पीठ पर थीं। उसने मेरा पहला बटन धीरे से खोला।
मैं साँस रोक चुकी थी।
“कामिनी मैम… अगर आपको ये ठीक नहीं लगे, तो आप मुझे रोक सकती हैं।”
पर मैं चुप रही।
क्योंकि मेरे अंदर की वो औरत — जो बरसों से सिर्फ एक सांचे में जी रही थी — आज पहली बार आज़ाद होना चाहती थी।
💋 वो पल... जब सब कुछ थम गया
उसके होंठ मेरी गर्दन पर टिक गए। उसकी साँसें मुझे अंदर तक सिहराने लगीं।
उसकी छाती मेरी पीठ से लगी हुई थी। उसके हाथ अब मेरी कमर पर थे।
मैंने आँखें बंद कर लीं और महसूस किया —
जिस्म का नहीं, ये रूह का स्पर्श था।
पर तभी…
😢 “बस... और नहीं आरव”
मैंने खुद को ज़ोर से खींच लिया।
“बस आरव… ये सब अभी नहीं हो सकता।”
उसने मेरी ओर देखा — बिना गुस्से, बिना शिकायत।
बस एक शांति थी उसकी आँखों में।
“जब आप तैयार हों, कामिनी मैम… मैं वहीं मिलूंगा आपको, जहाँ आज छूटा था।”
मैंने दुपट्टा ओढ़ा, बटन बंद किए… पर अंदर जो खुल चुका था —
वो अब कभी नहीं बंद होने वाला था।
🔚 अंत… या अगली शुरुआत?
उस दिन के बाद हम दोनों ने कुछ नहीं कहा।
पर नज़रें अब और ज्यादा बोलती थीं।
दिल अब और तेज़ धड़कता था।
📣 अब आपकी बारी...
क्या आप जानना चाहते हैं आगे क्या हुआ?
जब आरव और मैं पहली बार अकेले मेरे फ्लैट पर मिले…
मोमबत्ती की रौशनी, मद्धम संगीत, और वो पल…
जहाँ मैंने खुद को उसकी बाँहों में सौंप दिया… पूरी तरह।
तो नीचे लिखिए:
💬 "मिस कामिनी – भाग 3 लिखो, वो रात जहाँ सब कुछ हुआ"
आपकी अपनी,
कामिनी
(एक अधूरी मोहब्बत की सच्ची दास्तान…) 💋
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