मिस कामिनी – भाग 3 "जब उसकी बाँहों में मेरी रूह तक भीग गई..."

आरव की बाँहों में बीती पहली रात – वासना, रोमांस, इश्क़ और मेरी योनि मे उसका समान । पढ़िए मिस कामिनी की अधूरी मोहब्बत का सबसे हॉट मोड़।

Jul 5, 2025 - 18:01
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मिस कामिनी – भाग 3 "जब उसकी बाँहों में मेरी रूह तक भीग गई..."
उस शाम, बारिश की बूँदें मेरी खिड़की को थपथपा रही थीं… और मेरे भीतर कोई दूसरी ही बारिश बरसने को बेकाबू थी।

💃 मिस कामिनी – भाग 3

"जब उसकी बाँहों में मेरी रूह तक भीग गई..."
(एक रात, जब मैंने खुद को उसकी आगोश में पूरी तरह सौंप दिया...)

👉 भाग 1 पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: [💋 मिस कामिनी – भाग 1]
👉 भाग 2 पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: [🔥 मिस कामिनी – भाग 2] 


🌙 कामिनी की कलम से…

उस शाम, बारिश की बूँदें मेरी खिड़की को थपथपा रही थीं… और मेरे भीतर कोई दूसरी ही बारिश बरसने को बेकाबू थी।

मैंने आरव को खुद मैसेज किया:
"आज रात आओ… अकेली हूँ, और अधूरी भी।"

उसने जवाब में बस लिखा —
"मैं आ रहा हूँ, कामिनी मैम… आज सिर्फ आप और मैं होंगे।"


🔥 दरवाज़े की दस्तक... और दिल की धड़कन

रात के करीब 8 बजे, जब मैंने दरवाज़ा खोला —
वो सामने खड़ा था, उसके भीगे बाल, भीगी पलकें, और आँखों में वैसी भूख... जो सिर्फ इश्क़ में नहीं, वासना में भी होती है।

मैंने रेशमी साड़ी पहन रखी थी, हल्की सी पारदर्शिता लिए हुए।
उसके देखते ही उसने कहा —
"आप... आज सिर्फ मेरी हो सकती हैं?"

मैंने हल्के से मुस्कुराकर कहा —
"आज, मैं सिर्फ कामिनी हूँ... न मैडम, न टीचर, सिर्फ एक औरत — प्यास से भरी हुई।"


🛏️ कमरे में सिर्फ रौशनी थी — और हमारी साँसें

मैंने कमरे की लाइट बंद की, कुछ मोमबत्तियाँ जलाईं।
रौशनी की नर्म छाया में उसका चेहरा और भी मर्दाना लग रहा था।

वो मेरे पास आया, मेरी ठोड़ी को उठाया —
"आपकी ये साँसें... आज मुझे आपके सबसे करीब ले जाएँगी।"

उसने मेरी साड़ी का पल्लू धीरे-धीरे खिसकाया,
उसकी उंगलियाँ मेरी कमर की ओर बढ़ीं, और फिर मेरी पीठ पर चलने लगीं।


💞 जब उसका "आरव" मेरी "गुफा" के पास पहुँचा...

मैंने उसकी कमीज़ के बटन खोल दिए।
उसका बदन तप रहा था… और उसकी नज़रें अब मेरी छाती पर टिकी थीं।

उसने मेरे ब्लाउज की हुक खोल दी —
मेरे 'उभार' उसके होंठों की गिरफ्त में आ चुके थे।

उसने मेरी गोलाइयों पर अपनी ज़ुबान घुमाई…
मेरे नाज़ुक बटन को अपनी जीभ से सहलाया…
और मैं — उसके हर स्पर्श पर कांप उठी।

"कामिनी... क्या मैं तुम्हारे अंदर आ सकता हूँ?"
उसकी आवाज़ में मर्दानगी थी, लेकिन इज़्ज़त भी।

मैंने उसकी आँखों में देखा और सर हिला दिया।


💦 जब उसने मुझे पूरा भर दिया…

उसका 'राज' अब मेरी 'गुफा' के द्वार पर था।
धीरे-धीरे उसने खुद को मेरे अंदर समेट दिया।

मुझे महसूस हुआ — जैसे मेरी सूखी ज़मीन पर पहली बार किसी ने पानी डाला हो।
मेरी जाँघें काँप रही थीं, मेरा मन उसके हर मूवमेंट से सीली हुई साँसों जैसा महसूस कर रहा था।

हर बार जब वो मेरी गहराई तक जाता, मेरी आँखें भर आतीं।
मेरे 'उभार' उसकी छाती से चिपक चुके थे, और मेरी साँसें अब केवल उसकी थीं।


🌪️ आलिंगन से अस्तित्व तक

उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर थीं, और उसकी साँसे मेरी गर्दन पर।

"तुम्हारे अंदर आकर, मैं खुद को पा रहा हूँ कामिनी…"
उसने कहा और मुझे और गहराई में भर दिया।

मेरी उंगलियाँ उसकी पीठ में धँस गई थीं।
मेरी प्यास अब बुझ नहीं रही थी —
बल्कि वो और बढ़ रही थी।


💤 जब सब कुछ हो गया…

हम एक-दूसरे के भीतर समा चुके थे।
उसकी गर्म साँसें अब मेरी जाँघों पर थीं।
मेरा जिस्म — उसके जिस्म से पूरी तरह लिपटा हुआ था।

मेरी 'गोलाइयाँ', मेरी 'गुफा', मेरी 'रूह' — सब कुछ अब उसका हो चुका था।


🔚 सुबह की पहली किरण... और मैं उसके सीने पर

जब सुबह हुई, मैं उसके सीने से लगी हुई थी।
उसकी हथेली अब भी मेरी कमर पर थी।
बाहर बारिश अब भी हो रही थी — लेकिन मेरे अंदर अब एक गहरी शांति थी।


💬 अब आपकी बारी...

क्या आप जानना चाहेंगे, भाग 4 में क्या हुआ?
जब कॉलेज में अफ़वाहें फैलने लगीं…
प्रिंसिपल ने सवाल उठाए… और मेरी नौकरी दाँव पर थी।

क्या मैंने आरव से नाता तोड़ लिया...
या उसकी बाँहों को फिर थाम लिया?

अगर हाँ, तो नीचे लिखें:
👉 "कामिनी – भाग 4 लिखो, जब समाज के सामने सब उजागर हुआ"

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