जब साली ने पहली बार जीजा की नजरें बदलीं – पहली चाहत की शुरुआत
गर्मी की छुट्टियों में जब प्रीति अपने जीजा के घर आई, तो सिर्फ मौसम ही नहीं, रिश्तों की गर्माहट भी बदलने लगी। साली और जीजा के बीच पहली बार कुछ ऐसा जुड़ाव हुआ जो सबकुछ बदलने वाला था।
📘 Title: जब साली ने पहली बार जीजा की नजरें बदलीं – पहली चाहत की शुरुआत
✍️ Written by: Arjun Singhaniya
💫 Part 1: साली आई गर्मी की छुट्टी में… और जीजा की नज़रें वहीं रुक गईं
🔥 Hook Line: कभी-कभी सिर्फ गर्मी ही नहीं... साली की मौजूदगी भी जीजा का चैन छीन लेती है।
गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी थीं। दिल्ली की तपती दोपहरों में सबकुछ सुस्त था, सिवाय राहुल के दिल के जो आज थोड़ा तेज़ धड़क रहा था। वजह थी — प्रीति। उसकी साली, जो दो साल बाद मायके से कुछ दिन रहने आई थी।
दरवाज़े की घंटी बजी, राहुल ने खोला — सामने खड़ी थी प्रीति। खुले बाल, हल्की मुस्कान, टाइट फिटिंग टी-शर्ट और लोअर जो उसकी कमर के घेरों को और उभार रहे थे।
“नमस्ते जीजा जी,” प्रीति ने मुस्कराते हुए कहा। उसकी आँखों में एक अलग सा आत्मविश्वास था, और शायद... एक जानबूझी हुई शरारत।
राहुल पलभर को कुछ बोल नहीं पाया। “अंदर आओ,” उसने कहा — और नज़रें तुरंत उसके चेहरे से हटाकर अंदर की ओर कर लीं, लेकिन दिल अब वहीं अटका था।
दिन बीतते गए। दीदी यानी राहुल की पत्नी निशा, ऑफिस में बिज़ी रहती थी, और प्रीति घर में अक्सर अकेली। कभी लॉन में बैठी मिलती, कभी रसोई में — बिना दुपट्टे, हल्के कपड़ों में, और बातों में थोड़ी छेड़छाड़ लिए।
एक शाम प्रीति ने कहा, “जीजा जी, आपके कंधे बहुत टाइट लगते हैं... आप बहुत वर्कआउट करते हो ना?”
राहुल मुस्कराया, “थोड़ा-बहुत।”
“फिर तो मुझे भी सिखाओ, गर्मियों में फिट दिखना है,” कहकर उसने अपनी कमर पर हाथ रखा — और उसकी पतली टी-शर्ट से हल्के उभार साफ़ दिख रहे थे।
राहुल ने महसूस किया — ये लड़की अब बच्ची नहीं रही। उसकी आँखों में अब मासूमियत के साथ-साथ कुछ और भी था — आकर्षण, चाहत... और शायद इरादा।
रात में राहुल बेड पर लेटा था लेकिन नींद गायब। बार-बार वही ख्याल — प्रीति का झुकना, उसका मुस्कुराना, उसका टॉवेल में बाल सुखाते हुए छत पर घूमना। हर चीज़ जैसे अब ख्वाब बनती जा रही थी।
एक दिन... जब निशा ऑफिस में थी, प्रीति ने राहुल से कहा, “आज आपकी चाय मैं बनाती हूं।”
राहुल ने देखा — उसके कंधे से टी-शर्ट थोड़ी नीचे खिसक गई थी।
प्रीति चाय बनाते हुए बोली, “शक्कर ज़्यादा तो नहीं?”
राहुल धीमे से बोला, “आज जो बना रही हो, वो मीठा खुद ही काफी है।”
प्रीति ने एक नज़र उसकी ओर देखा — वो नज़रों का मिलना कुछ कह गया। वो चाय नहीं, chemistry का पहला घूंट था।
राहुल ने सोचा — “क्या ये सब मैं सोच रहा हूं, या वाकई में कुछ है जो बदल रहा है?”
कमरे की हवा अब धीरे-धीरे गरम होने लगी थी, और चाहत की चुप्पी बहुत कुछ बयां करने लगी थी।
📖 Part 2: छत पर अकेली साली, और जीजा का दिल फिसल गया — जल्द आ रहा है
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