PG वाली लड़की और मेरी देह की पहली कविता – भाग 2

जब अकेली लड़की ने अपने तन और मन को मेरे सामने खोल दिया, मेरी उंगलियाँ उसकी लहरों में बहने लगीं – पढ़ें भाग 2

Jul 10, 2025 - 00:59
Jul 10, 2025 - 01:06
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PG वाली लड़की और मेरी देह की पहली कविता – भाग 2
क बंद कमरे में तन और मन का मिलन

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🔥 PG वाली लड़की – जब रूह तक लहरें गईं (भाग 2)

(एक बंद कमरे में तन और मन का मिलन)


❤️‍🔥 कहानी आगे…

कमरे का दरवाज़ा बंद हो चुका था।
हमारे बीच अब कोई दीवार नहीं थी – ना शब्दों की, ना हिचक की।

मैंने उसकी आँखों में झाँका – वहाँ डर नहीं था, बल्कि एक रूहानी निमंत्रण था।
उसने अपने हाथों से मेरा चेहरा छुआ और बोली, "बस आज मुझे तन्हाई से आज़ादी चाहिए..."


💫 उंगलियों की रागिनी

मेरी उंगलियाँ उसके चेहरे से फिसलती हुई उसकी गर्दन की घाटियों तक उतर गईं
उसके कंधे से उसका दुपट्टा फिसल गया, और उसके गले की धड़कनें मेरे होंठों से टकराने लगीं।

उसके सीनों की गोलाइयाँ मेरे स्पर्श से और भी कसक उठीं, जैसे कई बरसों की नींद अब जागी हो।
मैंने अपनी उंगलियों से उसके उभारों की लहरें गिननी शुरू की…
…और वो धीमी सांसों में खोती गई।


🌊 गुफा की प्यास और उसकी लहरें

जब मैंने उसके पायजामे की डोरी ढीली की,
उसकी साँसें तेज़ हो गईं – उसकी नमी मेरी उंगलियों को छूते ही उसकी गुफा की भीतर उठती लहरों से भीग गई।

वो मेरे गले में बाहें डालकर बोली –
"जैसे कोई गर्म साँस मेरी रूह को छू रही हो…"

मैंने उसका हर हिस्सा एक कविता की तरह पढ़ा
उसकी जांघें, उसकी कमर की गोलाई, और उसकी गुफा की थरथराती दीवारें…


🔥 जब मेरा औज़ार उसके अस्तित्व में उतरा…

मैंने जब अपना मोटा और गरम सुलतान उसके दरवाज़े पर रखा,
उसकी आँखें एक पल के लिए मुंद गईं –
उसने मेरा हाथ पकड़ा और खुद उसे अपने भीतर खींच लिया

"ओह्ह्ह... ये मेरे अंदर तक जा रहा है..." – वो फुसफुसाई।

मेरे औज़ार ने जब उसकी गुफा की भीतरी दीवारों को चीरना शुरू किया,
तो उसके अंदर की लहरें मेरे नाभि तक टकराईं।

हर धक्का, हर रगड़, उसकी देह से एक नई कराह निकाल रहा था…
...उसकी जांघें मेरी कमर में लिपटी थीं और उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ में गढ़ी हुई थीं।


💓 गति और राग का समागम

धीरे-धीरे हमने संगीत की लय में खुद को छोड़ा…
कभी उसकी उंगलियाँ मेरे होठों पर थीं, तो कभी मेरी साँसें उसकी गर्दन में डूबी थीं।

उसकी गुफा की परतें मेरे औजार को जकड़ रही थीं,
और मेरी चालें हर लहर के साथ और भी तेज़ होती जा रही थीं।

“और अंदर जाओ…” – वो बोली।

“तोड़ दो मेरी प्यास…”


🌪️ क्लाइमैक्स – जब समय थम गया

और फिर, एक आख़िरी धक्का…
उसके अस्तित्व की पूरी दीवारें मेरे औजार को थाम चुकी थीं।

उसकी देह काँप उठी…
उसकी आँखों से आँसू नहीं, सुकून की एक पूरी नदी बह निकली।

वो मेरे सीने पर गिर पड़ी…
"तुमने मेरी रूह तक भिगो दी..."


🌙 सुबह की धीमी धूप और एक मुस्कान

हम नंगे, मगर ढंके हुए थे…
…चादर में, गर्म सांसों में, और एक अनकहे एहसास में।

उसने मेरी उंगलियाँ चूमीं और कहा,
"मैं अब अकेली नहीं हूँ…"


📌 कहानी समाप्त – PG वाली लड़की भाग 2

👉PG वाली लड़की और किरायेदार की पहली रात – भाग 1

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